अपना उसे बनाना गर मेरे बस में होता
लौट आता अगर आना मेरे बस में होता
आँखों में उनकी जाता सूरत बदल बदल कर
खाव्बों में आना जाना गर मेरे बस में होता
चेहेरे को मुस्कराहट से मैं सजाये रखता हूँ
ए यार मुस्कुराना गर मेरे बस में होता
दुनिया से ख़त्म करके रख देता रंज ओ गम को
बज़्म-ऐ - तरब सजाना गर मेरे बस में होता
क़दमों में उनके लाकर तारे बेखेर देता
तारो को तोड़ लाना गर मेरे बस में होता
लाता ना नाम कभी उस बेवफा का लब पर
उसकी वफ़ा को भुलाना गर मेरे बस में होता
hmm dil ki awaaz
ReplyDeleteawesome
ReplyDeleteGud one
ReplyDeletemy favorite one.... really very nice one.
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