ज़िन्दगी भी कितनी अनिश्चित होती है | पता ही नहीं चलता कब हमारे अपने हम्मे सफ़र में अकेला छोड़ जाते है और रह जाती उन अपनों की यादे | जिस तरह जैसे कोई परिंदा घरोधा छोड़ दूसरे आसमान का रुख कर गया हो | मेरे पिताजी जो उसी परिदे की तरह मेरा साथ बचपन में ही छोड़ गये थे पर आज भी यू लगता की जैसे वो मेरे साथ हो............
यह ग़ज़ल उन सभी के लिए है जिनके दिल में अपनों को खोने की कसक है और आज भी उनका साया वो महसूस करते है
चिठ्ठी न कोई सन्देश
जाने वो कौन सा देश जहा तुम चलऐ गए
चिठ्ठी न कोई सन्देश ......
इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देश
जहा तुम चले गए ...
एक आह भरी होगी हमने न सुनी होगी
जाते जाते तुमने आवाज़ तो दी होगी
हर वक़्त येही है ग़म , उस वक़्त कहा थे हम
कहा तुम चले गए
चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश
जहा तुम चले गए जहा तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देश
जहा तुम चले गए ...
हर चीज़ पे अश्कों से लिखा है तुम्हारा नाम
ये रास्तऐ घर गलियाँ तुम्हे कर न सके सलाम
है दिल में रह गयी बात , जल्दी से छुड़ा कर हाथ
कहा तुम चले गए
चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश
जहा तुम चले गए जहा तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस जाने वोह कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए ...
अब यादों के कांटे इस दिल में चुभते हैं
न दर्द ठहेरता है न आंसों रुकते हैं
तुम्हे धुंद रहा है प्यार , हम कैसे करें इकरार
कहा तुम चले गए
चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश
जहा तुम चले गए जहा तुम चले गए
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