Friday, November 27, 2009

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,


देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।



करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत,

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।



रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में

लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।



यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार

क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।



ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार

अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।



वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,

हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।



खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद,

आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।



सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

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रहबर - Guide

लज्जत - tasteful

नवर्दी - Battle

मौकतल - Place Where Executions Take Place, Place of Killing

मिल्लत - Nation, faith

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